लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर
चटुल शफरी सुभग
काञ्ची
सी...
प्रिये ! आई शरद
लो
वर!
चटुल शफरी सुभग
काञ्ची-सी
मनोरम
दीखती
है
हंस श्रेणी धवल
बैठी
निकट
मुक्ताहार-सी
है
वे नितंबों से
सुमांसल
पुलिन
विस्तृत
है
रुचिर-तर
एक प्रमदा-सी
नदी
होती
प्रवाहित
मन्द-मंथर
प्रिये ! आई शरद
लो
वर!